प्रेमचंद के बारे में
- प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 में लमही नामक गांव, वाराणसी में हुआ था।
- मृत्यु 8 अक्टूबर 1936, वाराणसी में।
- पूरा नाम – धनपत राय श्रीवास्तव
- अन्य नाम – नवाब राय
- उपन्यास के क्षेत्र में इनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने इन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था।
प्रेमचंद द्वारा लिखित उपन्यास
- सेवासदन (1918)
- प्रेमाश्रम (1922)
- रंगभूमि (1925)
- कायाकल्प (1926)
- निर्मला (1927)
- गबन (1930)
- कर्मभूमि (1932)
- गोदान (1936)
- मंगलसूत्र (अपूर्ण)
उपन्यास से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य
- 1936 में हिंदी ग्रंथ रत्नाकर कार्यालय बंबई से प्रकाशित हुआ।
- गोदान प्रेमचंद का अंतिम और सबसे महत्त्वपूर्ण उपन्यास माना जाता है।
- इसमें भारतीय ग्राम समाज, कृषक जीवन की विसंगतियों एवं शोषण के विविध रूपों का चित्रण किया गया है।
- गोदान ग्राम्य जीवन और कृषि संस्कृति का महाकाव्य है।
- इसमें प्रगतिवादी, गांधीवादी और मार्क्सवादी (साम्यवाद) का पूर्ण परिप्रेक्ष्य में चित्रण हुआ है।
- इस उपन्यास में दो कथाएं एक साथ चलती है। ग्रामीण कथा मुख्यतः आधिकारिक है और नगरीय कथा गौण अथवा अप्रासंगिक है।
उपन्यास के मुख्य पात्र
- होरी – उपन्यास का नायक एवं एक किसान है।
- धनिया – होरी की पत्नी तथा उपन्यास की नायिका।
- गोबर – होरी का पुत्र।
- सोना – होरी की बड़ी पुत्री।
- रूपा – होरी की छोटी पुत्री।
- रायसहाब – जमींदार तथा सेमरी गांव का निवासी।
- दातादीन – महाजन है (इनसे गांव के लोग पैसे उधार लेते हैं।)
- मेहता – होरी जहां ग्रामीण कृषक वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है वहीं मेहता शहरी शिक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। मेहता एक निर्भीक आलोचक तथा यथार्थवादी पुरूष है।
- मालती – शहरी, शिक्षित तथा स्वावलंबी नारी है।
गोदान और प्रेमचंद से संबंधित साहित्यकारों के कथन व आलोच्य बिंदु
- मुंशीजी किसानों के कवि हैं। उनके सुख-दुख में शरीक होकर उनके साथ रोने-हंसने वाले सहृदय व्यक्ति हैं। – बाबू गुलाबराय
- गोदान आधुनिक भारतीय जीवन का दर्पण है। वह सामान्य एवं मध्य वर्ग की समस्याओं को लेकर चलता है। प्रेमचंद जी ग्राम्य जीवन को चित्रित करने में सिध्दहस्त थे यह किसी से छिपा नहीं है। – डॉ. विशम्भर मानव
- प्रेमचंद शताब्दियों से पद्दलित अपमानित और निस्पेषित (अच्छी तरह से पिसा हुआ कृषकों की आवाज थे। – देव
- कानून कहता है हम-तुम आदमी हैं। हममें आदमियत कहां? आदमी वह है जिसके पास धन है, अस्तियार है, इल्म है। हम तो बैल हैं और जुतने के लिए पैदा हुए हैं। – गोदान (प्रेमचंद)
- उदात्त का सृजन केवल यौद्धाओं के चित्रण से नहीं होता अपितु सामान्य जनों के चित्रण से भी उसका सृजन संभव है। – रामविलास शर्मा
- होरी का चरित्र भारत के अजेय किसान का चरित्र है। गोदान उसके भगीरथ प्रयत्न की गाथा है। – रामविलास शर्मा
- गोदान विश्वास साहित्य की अमर कृतियों में स्थान पाकर भारत का सौभाग्य सूर्य बन गया है। – डॉ. मक्खन शर्मा
- मैं कम्युनिस्ट हूं, किन्तु मेरा कम्युनिज़्म केवल इतना ही है कि हमारे देश में जमींदार, सेठ आदि जो कृषकों के शोषक हैं, न रहें। – प्रेमचंद
पात्र – योजना
- होरी
- गोदान का होरी अपने यथार्थवाद स्वरूप के इर्द-गिर्द नजर आता है।
- कुछ बातों में होरी उदात्त मूल्यों से बिल्कुल परे दिखता है। जैसे – बांस की कटाई में से भाइयों से पांच रुपए की बेईमानी, गांव वालों के सामने पत्नी की पिटाई करना।
- होरी किसानी व खेती की मर्यादा के भाव से युक्त है, उसे लगता है कि हजार कष्टों के बाद भी जो खेती में सुख है वह मजदूरी में कहां।
- गोबर
- यह अगली पीढ़ी का मज़दूर रूपांतरित किसान है।
- गोबर विद्रोही पीढ़ी का किसान है।
- गांव व शहर दोनों स्तरों पर यह शोषणकर्त्ताओं को जवाब देता है।
- धनिया
- धनिया सामाजिक ग्रामीण व्यवस्था में नारी जाति की गरिमा से युक्त चरित्र है।
- आर्थिक, सामाजिक परेशानी व तंग-हालियों ने इसे कटु भाषिणी बना दिया है।
- रायसहाब
- ग्रामीण कथा व शहरी कथा के बीच में एक कड़ी हैं।
- सामंती प्रवृत्ति से सराबोर है।
- शोषणमूलक चरित्र के परिचायक हैं।
- मि. खन्ना (पत्नि-गोविंदी)
- खन्ना व्यवसायवादी शुद्ध मुनाफा को प्रमुख मानते हैं। उनके लिए मजदूरों का हित नगण्य है।
- मुखौटाधर्मी चरित्र (एक तरफ खद्दर पहनते हैं तो दूसरी तरफ फ्रांस की शराब पीते हैं।)
- मि. मेहता
- मेहता का चरित्र पूरी तरह अंतर्विरोधमूलक है।
- पुरूष व स्त्री के लिए उनकी सोच अलग-थलग है।
- एक तरफ इन पर युगीन सामंती मानसिकता का प्रभाव है तो दूसरी तरफ आधुनिक स्वच्छंदतावाद का भी।
- मालती
- मिस मालती पूंजीवादी समाज में नारी के स्वरूप में आए परिवर्तन को उद्घाटित करने वाली चरित्र है।
- पेशे से डॉक्टर है परंतु पुरूषों से आर्थिक लाभ लेना व स्वच्छंद प्रकृति वाली है।
उपन्यास का मूल उद्देश्य एवं विशेषताएं
- चरित्रों की प्रकृति के अनुकूल जीवंत भाषा का प्रयोग किया है।
- ग्रामीण व शहरी कथा के माध्यम से तत्कालीन औपनिवेशिक पूंजीवादी सामंती व महाजनी शोषण की तस्वीर पेश की है।
- गोदान प्रेमचंद के यथार्थवाद को समेटने वाला उपन्यास है।
- समकालीन समाज की समस्या का चित्रण किया गया है।
- अंधविश्वासी प्रवृत्तियों का चित्रण किया गया है।
उपन्यास का सारांश
- उपन्यास में उस समय का चित्रण है जब भारत में जमींदारी प्रथा थी। होरी की एकमात्र अभिलाषा एक गाय लेने की है। गाय उसके लिए सजीव संपत्ति के साथ-साथ प्रतिष्ठा की सूचक भी है। जैसे-तैसे उसने भोला से एक गाय उधार ले भी ली, पर होरी का भाई हीरा ने ईर्ष्यावश गाय को जहर देकर मार डाला और होरी पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा। इसी गाय के कारण उसके पुत्र गोबर और भोला की विधवा पुत्री झुनिया का प्रेम हुआ तथा शादी से पहले एक लड़का भी हो गया। बिरादरी में ऐसे पाप के लिए गांव की पंचायत होरी पर सौ रुपए नकद और तीस मन अनाज का डाड़ लगाती है।
- गोबर झुनिया को चुपके से अपने में छोड़कर लोकलज्जा के भय से लखनऊ भाग जाता है। तथा होरी को समाज का कोपभाजन बनना पड़ा पुलिश को रिश्वत भी देनी पड़ी, कर्ज लेना पड़ा, हीरा के परिवार का पालन-पोषण करना पड़ा, भोला की खरी-खोटी सुननी पड़ी। किसान से मजदूर बना होरी अन्त में अपनी परिश्रमशीलता के चलते मरणासन्न स्थिति में घर लाया गया और धर्म के ठेकेदार उसकी पत्नी धनिया से अपेक्षा करते रहे कि यह होरी का अंतिम समय है. इनका परलोक तभी सुधरेगा जब इससे गोदान करा लिया जाएगा। जिस गाय को रखने की अभिलाषा होरी जीते जी पूरी नहीं कर सका, उसी गाय को उससे दान मांगा जा रहा है। यह विडंबना नहीं तो और क्या है?
- किसान के जीवन की इस ट्रेजिडी को ही गोदान में प्रस्तुत किया गया है।
One response to “गोदान – प्रेमचंद”
महत्वपूर्ण कार्य। लगे रहें। कृपया अन्य उपन्यासों की भी समीक्षा और विश्लेषण करें।