लोक नाथ तिवारी की ‘अनगढ़’ की भोजपुरी में 30 मुकरियां
लोक नाथ तिवारी ‘अनगढ़’ की भोजपुरी में 30 मुकरियां लोक नाथ तिवारी ‘अनगढ़’
(खड़ी बोली और भोजपुरी में छंदबद्ध कविता और मुकरियां करने वाले स्वतंत्र कवि)
लोक नाथ तिवारी ‘अनगढ़’ की भोजपुरी में 30 मुकरियां लोक नाथ तिवारी ‘अनगढ़’
(खड़ी बोली और भोजपुरी में छंदबद्ध कविता और मुकरियां करने वाले स्वतंत्र कवि)
लोक नाथ तिवारी ‘अनगढ़’ की कविताएं (खड़ी बोली और भोजपुरी में छंदबद्ध कविता और मुकरियां करने वाले स्वतंत्र कवि)
“किरन! तुम्हारे कानों में क्या है?” उसके कानों से चंचल लट को हटाकर कहा – “कँगना।” “अरे! कानों में कँगना?” सचमुच दो कंगन कानों को
You cannot copy content of this page